बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिससे फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मच गई है। उन्होंने सफलता और उसके बाद लोगों के व्यवहार में आने वाले बदलावों पर खुलकर बात की है। क्या वाकई सफलता इंसान को बदल देती है? आइए जानते हैं!
सफलता का कड़वा सच
विधु विनोद चोपड़ा के अनुसार, बॉलीवुड में सफलता मिलने के बाद लोगों का ध्यान केवल पैसे पर केंद्रित हो जाता है। वे फिल्म निर्माण के वास्तविक आनंद को भूल जाते हैं और सिर्फ हिट फिल्में बनाने की होड़ में लग जाते हैं।
बदले हुए चेहरे
चोपड़ा ने राजकुमार हिरानी और अन्य फिल्म निर्माताओं का उदाहरण दिया, जिन्होंने सफलता के बाद अपने मूल्यों को बदल दिया। उन्होंने बताया कि कैसे पहले वे साधारण थे, लेकिन अब उनका व्यवहार बदल गया है।
- सफलता का प्रभाव: सफलता मिलने पर लोगों में अहंकार आ जाता है।
- पैसे की लालच: फिल्म निर्माता केवल पैसे कमाने के लिए फिल्में बनाते हैं।
बॉलीवुड में विजन की कमी
चोपड़ा ने बॉलीवुड में विजन की कमी पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता केवल हिट फिल्में बनाने के लिए मसाला और देशभक्ति का उपयोग करते हैं, जिससे फिल्मों में रचनात्मकता का अभाव होता है।
क्रिएटिविटी बनाम मसाला
बॉलीवुड में, फिल्म निर्माता अक्सर सुरक्षित रास्ते पर चलते हैं और केवल उन विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हिट होने की गारंटी देते हैं। इससे फिल्मों में नयापन और मौलिकता कम हो जाती है।
साउथ सिनेमा बनाम बॉलीवुड
विधु विनोद चोपड़ा ने साउथ सिनेमा और बॉलीवुड के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर बताया। उन्होंने कहा कि साउथ सिनेमा में क्रिएटिविटी को अधिक महत्व दिया जाता है, जबकि बॉलीवुड में शानो-शौकत को।
क्रिएटिविटी का महत्व
साउथ सिनेमा में, फिल्म निर्माता नई कहानियों और तकनीकों के साथ प्रयोग करने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं। वे दर्शकों को कुछ नया और अनूठा दिखाने की कोशिश करते हैं।
- नयापन: साउथ सिनेमा में नई कहानियों को प्राथमिकता दी जाती है।
- तकनीकी प्रयोग: फिल्म निर्माता नई तकनीकों का उपयोग करने से नहीं डरते।
फिल्म मेकिंग का आनंद
चोपड़ा का मानना है कि फिल्म निर्माताओं को फिल्म मेकिंग के आनंद के लिए फिल्में बनानी चाहिए, न कि केवल पैसे के लिए। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण एक कला है और इसे उसी भावना से किया जाना चाहिए।
कला का सम्मान
फिल्म निर्माताओं को अपनी कला का सम्मान करना चाहिए और केवल पैसे के पीछे नहीं भागना चाहिए। उन्हें ऐसी फिल्में बनानी चाहिए जो दर्शकों को प्रेरित करें और उन्हें सोचने पर मजबूर करें।
नए लोगों में भ्रष्टाचार
चोपड़ा ने यह भी कहा कि नए लोगों में ब्यूटी और दिल की सफाई ज्यादा होती है, लेकिन वे माया नगरी के तौर-तरीकों से भ्रष्ट हो जाते हैं।
भ्रष्टाचार का प्रभाव
नए लोगों को फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ता है, जिससे वे अपनी नैतिकता और मूल्यों से समझौता करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
- दबाव: नए लोगों को सफल होने के लिए कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ता है।
- समझौता: उन्हें अपनी नैतिकता और मूल्यों से समझौता करना पड़ता है।
निष्कर्ष
विधु विनोद चोपड़ा का यह खुलासा बॉलीवुड की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है। सफलता निश्चित रूप से लोगों को बदल सकती है, लेकिन फिल्म निर्माताओं को यह याद रखना चाहिए कि फिल्म निर्माण एक कला है और इसे उसी भावना से किया जाना चाहिए।
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