नोएडा फ्लैट रजिस्ट्री संकट: निवासियों की मांग - कार्रवाई कब?

नोएडा फ्लैट रजिस्ट्री संकट: निवासियों की मांग - कार्रवाई कब?

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Quick Summary

नोएडा में फ्लैट रजिस्ट्री की समस्या बिल्डरों द्वारा किश्तें न भरने और अथॉरिटी की निष्क्रियता के कारण है, जिससे हजारों परिवार प्रभावित हैं। निवासियों को अब सरकार से कार्रवाई की उम्मीद है।

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2025-07-18 6 min read 0 views
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नोएडा फ्लैट रजिस्ट्री संकट: निवासियों की मांग - कार्रवाई कब?

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नोएडा में हजारों परिवार अपने फ्लैट की रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे हैं, सालों पहले अपने सपनों के घर के लिए भुगतान करने के बावजूद। आखिर क्या है इस समस्या का कारण और कब तक मिलेगा समाधान? इस वीडियो में नोएडा के निवासियों की आवाज उठाई गई है, जो अपनी संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

नोएडा में फ्लैट रजिस्ट्री में देरी के मुख्य कारण

नोएडा में फ्लैट रजिस्ट्री में देरी के कई कारण हैं, जिनमें बिल्डरों द्वारा जमीन खरीदने के बाद किश्तों का भुगतान न करना और फ्लैट खरीदारों से पैसे लेकर भी निर्माण कार्य पूरा न करना शामिल है। बिल्डरों ने बैंक से फाइनेंस कराकर और फ्लैट बेचकर पैसा इकट्ठा किया, लेकिन उस पैसे से और जमीन खरीद ली, जिससे मूल परियोजना अधूरी रह गई।

बिल्डरों द्वारा किश्तों का भुगतान न करना

बिल्डरों द्वारा जमीन की किश्तों का भुगतान न करना समस्या का एक मुख्य कारण है। इससे अथॉरिटी पर वित्तीय दबाव बढ़ता है और विकास कार्य बाधित होते हैं।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: बिल्डरों द्वारा समय पर किश्तों का भुगतान न करने से परियोजनाओं में देरी होती है।
  • बकाया राशि बढ़ने से अथॉरिटी के लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।

अथॉरिटी की निष्क्रियता

अथॉरिटी ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। अगर अथॉरिटी ने शुरुआत में ही बिल्डरों पर दबाव बनाया होता, तो शायद आज यह स्थिति न होती।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: अथॉरिटी द्वारा समय पर कार्रवाई न करने से समस्या और गंभीर हो गई।
  • निवासियों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा।

थर्ड पार्टी इंटरेस्ट और कानूनी जटिलताएं

अब स्थिति यह है कि जमीन पर कई थर्ड पार्टी इंटरेस्ट बन गए हैं, जिससे अथॉरिटी के लिए कोई ठोस कार्रवाई करना मुश्किल हो गया है। बिल्डरों के पास अटैच करने के लिए कुछ नहीं बचा है, क्योंकि उन्होंने सारा पैसा अन्य परियोजनाओं में लगा दिया है।

जमीन पर थर्ड पार्टी इंटरेस्ट

जमीन पर कई थर्ड पार्टी इंटरेस्ट बनने से कानूनी प्रक्रिया और जटिल हो गई है।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: थर्ड पार्टी इंटरेस्ट के कारण अथॉरिटी के लिए कार्रवाई करना मुश्किल है।
  • कानूनी लड़ाई लंबी और महंगी हो सकती है।

बिल्डरों की वित्तीय स्थिति

बिल्डरों के पास अटैच करने के लिए कुछ नहीं बचा है, जिससे बकाया राशि वसूलना मुश्किल हो गया है।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: बिल्डरों की वित्तीय स्थिति खराब होने से वसूली की संभावना कम हो गई है।
  • निवासियों को नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है।

पहले के प्रयास और वर्तमान स्थिति

पहले इलाहाबाद मॉडल में बिल्डरों से बकाया राशि वसूलने के प्रयास किए गए थे, लेकिन बाद में अथॉरिटी ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था, लेकिन अब इस तरह के मामलों को लेने से मना कर दिया है।

इलाहाबाद मॉडल

इलाहाबाद मॉडल में वसूली के प्रयास किए गए थे, लेकिन यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: इलाहाबाद मॉडल वसूली का एक प्रयास था, जो अधूरा रह गया।
  • इस मॉडल से कुछ बिल्डरों से वसूली की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था, लेकिन अब इस तरह के मामलों को लेने से मना कर दिया है, जिससे निवासियों की उम्मीदें कम हो गई हैं।

  • महत्वपूर्ण बिंदु: सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसे मामलों को न लेने से निवासियों में निराशा है।
  • निवासियों को अब अन्य विकल्पों की तलाश करनी होगी।

निष्कर्ष

नोएडा में फ्लैट रजिस्ट्री की समस्या एक गंभीर मुद्दा है, जिससे हजारों परिवार प्रभावित हैं। बिल्डरों की लापरवाही, अथॉरिटी की निष्क्रियता और कानूनी जटिलताओं ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। निवासियों को अब सरकार और अथॉरिटी से ठोस कार्रवाई की उम्मीद है, ताकि उन्हें उनके घरों का कानूनी अधिकार मिल सके।

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